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DAINIK JAGRAN

1.

ड्रैगन-हाथी मिलकर चलें तो दुनिया में कायम होगा शक्ति संतुलन : चीन

अमेरिका की नई सरकार की नीतियों ने जिस तरह वैश्विक संबंधों में भारी फेरबदल करने की शुरुआत कर दे है, उसमें चीन ने भारत के साथ अपने संबंधों को लेकर अहम संकेत दिए हैं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने द्विपक्षीय रिश्तों में आपसी समझ व सहयोग की भावना की वकालत करते हुए कहा है कि ड्रैगन और हाथी के बीच बेहतर तालमेल ही भारत-चीन के लिए एकमात्र सही विकल्प है। कूटनीतिक जगत में भारत को हाथी और चीन को ड्रैगन कहा जाता रहा है। नवंबर, 2019 में जब पीएम मोदी व राष्ट्रपति चिनफिंग की मामल्लपुरम (तमिलनाडु) में भेंट हुई थी, तब दोनों ने ड्रैगन व हाथी से अपने-अपने देश को चिड़ित किया था। 


2.

आतंकवाद की बड़ी चुनौती से प्रतिबद्धता से निपटें

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद को एक "लगातार चुनौती" बताया है। उन्होंने कहा, आयरलैंड के अहाकिस्ता गांव में एक स्मारक पट्टिका है, जो एअर इंडिया के विमान कनिष्क बम विस्फोट के 329 पीड़ितों की याद दिलाती है, जो आयरलैंड के तट पर हुआ था। यह हमेशा एक याद दिलाता है कि यह एक लगातार चुनौती है जिससे दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता के साथ निपटने की आवश्यकता है। 


3.

बांग्लादेश में अतिवादियों की रिहाई चिंताजनक : भारत

भारत ने एक बार फिर बांग्लादेश की खराब आंतरिक स्थिति खास तौर पर वहां कानून-व्यवस्था के मौजूदा हालात पर अपनी चिंता जताई है। इसके साथ ही प्रोफेसर मोहम्मद युनुस के नेतृत्व बाली अंतरिम सरकार की तरफ से कुछ अतिवादियों को रिहा करने के मुद्दे पर भी भारत ने चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को बांग्लादेश सरकार से आग्रह भी किया कि वह हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करे। साथ ही उनके धार्मिक स्थलों को सुरक्षा मुहैया कराएं। गत अगस्त में पूर्व पीएम शेख हसीना की लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से ही बांग्लादेश की स्थिति खराब बनी हुई है। वहां भारत विरोधी ताकतों को सरकार का प्रश्रय मिल रहा है। इस क्रम में भारत पर आतंकी हमला करने की साजिश रचने वालों को भी रिहा कर दिया गया है। 


4.

क्यों पड़ती है परिसीमन की जरूरत

लोकतंत्र में ससद देश की सचसे बड़ी पंचायत होती है। इस पंचायत में देश के हर वर्ग, हर समुदाय, हर क्षेत्र का न केवल प्रतिनिधित्व होना चाहिए बल्कि समुचित और न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व होना चाहिए। यह प्रतिनिधित्व लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांतों पर भी खरा सावित होना चाहिए। यही सुनिश्चित करने के लिए संविधान ने संसद में लोकसभा सीटों के परिसीमन का प्रविधान किया है। हर जनगणना के बाद सीटों का परिसीमन होना चाहिए ताकि संसद में सीटों की संख्या और लोकसभा क्षेत्रों की सीमा नई आबादी के हिसाब से तय हो सके। इसके पीछे विचार ये है कि हर संसदीय या विधानसभा क्षेत्र में लोगों की आबादी लगभग बराबर हो। इसी विचार को लेकर दक्षिण भारत के राज्य डरे हुए है। 


5.

परिसीमन में साधना होगा संतुलन

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद में प्रतिनिधित्व का पैमाना अभी तक 1971 की जनगणना पर ही अटका हुआ है। इसके पीछे यही तर्क रहा कि जनसंख्या नियंत्रण में सफल रहे राज्यों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व के स्तर पर संभावित नुकसान से बचाना। हालांकि यह समयसीमा 2026 में समाप्त हो रही है और अब नए सिरे से परिसीमन प्रस्तावित है। इसे लेकर बहस भी शुरू हो गई है। दक्षिणी राज्यों को आशंका सता रही है कि जनसंख्या नियंत्रण के उनके प्रयासों को नए परिसीमन को पलीता लग सकता है। इसी कारण इन राज्यों में विरोध के स्वर भी मुखर होने लगे हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक प्रकार से इस अभियान की कमान भी संभाल रखी है। दक्षिण के अन्य राज्य भी उत्तर भारत के वर्चस्व को लेकर सशंकित होने के कारण उनके सुर में सुर मिला रहे हैं। ऐसे स्वरों को शांत करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने आश्वासन भी दिया है कि परिसीमन में दक्षिणी राज्यों के हितों पर कोई आधात नहीं होने दिया जाएगा। भारतीय संविधान ने एक ऐसी चुनावी प्रक्रिया की संकल्पना की थी, जिसमें प्रत्येक सांसद कमोबेश बराबर लोगों का प्रतिनिधित्व करे। संविधान के अनुच्छेद 81, 82 और 170 (3) में यही व्यवस्था की गई है कि समय-समय पर सीटों का नए सिरे से परिसीमन किया जाए जिसमें जनसंख्या परिवर्तन के रुझान को अपेक्षित रूप से समायोजित किया जा सके। इस समय भारत का चुनावी मानचित्र 1971 की जनगणना पर अटका हुआ है, जब उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु की जनसंख्या में उतना अंतर नहीं था, जितना आज है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या अभी 24 करोड़ से अधिक है जो तमिलनाडु से लगभग दोगुनी है, लेकिन उसकी लोकसभा सीटें अभी भी 1971 के स्तर पर ही हैं। क्या यह उचित है? 


6.

आत्मनिर्भर बन रही आधी आबादी

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता दिलाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम का संदेश महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए ठोस और तेजी से कदम उठाने की आवश्यकता पर बल देना है। मोदी सरकार इसी दिशा में संक्रिय है। हमारी सरकार ने विभिन्न नीतियों और योजनाओं के माध्यम से महिलाओं के उत्थान और सशक्तीकरण हेतु अनेक ठोस कदम उठाए हैं। ये नीतियां महिलाओं की शिक्ष, स्वास्थ्य, आर्थिक स्वतंत्रता, सुरक्षा और राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। पिछले दस वर्षों में महिला सशक्तीकरण के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं का जमीन पर लाभ दिखना शुरू हो गया है। गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन प्रदान करना हो, स्वास्थ्य और सुविधा में सुधार हेतु 'उज्ज्वला योजना' हो या बालिकाओं की शिक्षा और भविष्य की वितीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 'सुकन्या समृद्धि योजना' हो, महिलाओं-बेटियों का हित भारत सरकार की प्राथमिकता है। मातृत्व लाभ अधिनियम में संशोधन कर महिलाकर्मियों को मिलने वाले मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दी गई है। मोदी सरकार द्वारा छोटे व्यवसाथियों की मदद के लिए शुरू की गई मुद्रा लोन योजना में महिलाओं की भागीदारी 69 प्रतिशत है। 


7.

चंद्र अन्वेषण में निजी कंपनियों का बढ़ता दखल

हाल के वर्षों में कई निजी कंपनियों चंद्र अभियानों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। स्पेसएक्स, जो एलन मस्क की कंपनी है, न केवल पृथ्वी की कक्षा में मिशन भेज रही है, बल्कि उसने नासा के आर्टेमिस मिशन के लिए स्टारशिप राकेट भी विकसित किया है, जो भविष्य में चंद्रमा पर इंसानों को ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। ब्लू ओरिजिन, जो जेफ बेजोस की कंपनी है, चंद्रमा के लिए नए लैंडर और अंतरिक्ष यान विकसित कर रही है। इंट्यूटिव मशीन भी नासा के सहयोग से चंद्रमा पर मिशन भेज रही है, जबकि जापान की आइस्पेस अगले वर्ष नए मिशन के साथ चंद्रमा पर उतरने की योजना बना रही है। फायरफ्लाई एयरोस्पेस का ब्लू घोस्ट लैंडर एक महत्वपूर्ण मिशन है, जो चंद्र अन्वेषण में निजी कंपनियों की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। यह लैंडर जनवरी 2025 में फ्लोरिडा से प्रक्षेपित किया गया था। यह चार पैरों वाला एक छोटा रोबोटिक यान है, जिसकी ऊंचाई दे मीटर। इस लैंडर में एक विशेष वैक्यूम उपकरण और ड्रिल लगी है, जो चंद्रमा की सतह से 10 फीट गहराई तक खोदाई कर सकती है और वहां का तापमान रिकार्ड कर सकती है। 


8.

विकसित भारत में स्त्रीशक्ति की भूमिका

पि छले एक दशक से हमारा देश निरंतर तीव्र गति से विकास पथ पर अग्रसर है। इसमें पुरुषों के साथ ही महिलाओं का भी योगदान है। परंतु कई क्षेत्रों में यह देखने में आ रहा है कि महिलाओं का योगदान अपेक्षित रूप में देश के विकास की धारा में शामिल नहीं हो पा रहा है। हालांकि इसके अनेक कारण हैं, जिन्हें समझते हुए उन्हें दूर किया जाना चाहिए। हमें यह समझना होगा कि जब तक नारी जागरूक होकर राष्ट्र निर्माण में योगदान नहीं देगी, तब तक विकसित भारत का स्वप्न अधूरा ही रहेगा। नारी मात्र गृहस्थी की शोभा ही नहीं, अपितु समाज की आधारशिला भी है। अनेक बाधाओं के बावजूद, वह अपने परिश्रम और दृढ़ संकल्प से कार्यक्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है, परंतु यह प्रश्न आज भी वैश्विक विचार-विमर्श का विषय है कि क्या यह प्रगति पर्याप्त है? नारी केवल परिवार की धुरी ही नहीं, बल्कि राष्ट्र की प्राण शक्ति भी है। यदि भारत को आर्थिक दृष्टि से सशक्त बनाना है तो नारी की सहभागिता अनिवार्य है। विश्व बैंक के अनुसार, यदि भारत में नारी श्रम शक्ति की भागीदारी 50 प्रतिशत से अधिक हो जाए तो अर्थव्यवस्था में 700 अरब डालर की वृद्धि संभव है। इससे यह भी पता चलता है कि नारी शक्ति का उत्थान हुए बिना कोई भी राष्ट्र समग्र विकास का स्वप्न नहीं देख सकता। 


9.

एआइ के उपयोग में विसंगतियां

स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की आजकल खूब चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि एआइ से स्वास्थ्य सेवा में खर्च कम होगा और कई सेवाएं बेहतर होंगी। लेकिन यह पूरा सच नहीं है। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए जिन एआइ सिस्टम का उपयोग होता है, उन्हें चलाने और बनाए रखने के लिए बहुत सारे प्रशिक्षित लोगों की जरूरत होती है, जिससे लागत बहुत बढ़ जाती है। 


10.

एक करोड़ से ज्यादा का टर्म इंश्योरेंस कवर चुनती हैं 44 प्रतिशत महिलाएं

भारत में महिलाएं तेजी से अपनी वित्तीय सुरक्षा की जिम्मेदारी उठा रही हैं। इसका पता इस बात से चलता है कि टर्म इंश्योरेंस खरीदने वाली लगभग 44 प्रतिशत महिलाएं अब एक करोड़ रुपये या उससे अधिक का कवर चुनती है। आंकड़ों से पता चलता है कि निवेश से जुड़ी पालिसियों, स्वास्थ्य बीमा और टर्म लाइफ इंश्योरेंस में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पालिसी बाजार के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि यह बदलाव वित्तीय निर्णय लेने में व्यापक परिवर्तन का हिस्सा है. जो कार्यबल में अधिक भागीदारी और डिजिटल वित्तीय उपकरणों तक बढ़ती पहुंच से प्रेरित है।


11.

भारत से व्यापक व्यापार समझौता करना चाहता है अमेरिका: लुटनिक

अमेरिकी वाणिज्य मंत्री होवार्ड लुटनिक ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश भारत के साथ एक व्यापक व्यापार समझौता करना चाहता है, न कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 'उत्पाद-दर-उत्पाद' व्यवस्था की। भारत को अपने कृषि बाजार को खोलने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब देश अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के साथ बातचीत कर रहा है, तो इसे टेबल से बाहर नहीं रखा जा सकता। कहा कि भारत इतना विशाल है और अमेरिका भी इतना विशाल है कि एक व्यापक व्यापार समझौता जरूरी है। 


12.

चंद्रमा पर कई स्थानों पर मौजूद हो सकती है बर्फ

चंद्रयान-3 मिशन के दौरान एकत्र किए गए आंकड़ों के अध्ययन से पता चला है कि पूर्व के अनुमानों की तुलना में चंद्रमा के ध्रुवों पर अधिक स्थानों पर सतह के ठीक नीचे बर्फ मौजूद हो सकती है। अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के संकाय सदस्य एवं प्रमुख लेखक दुर्गा प्रसाद करणम ने कहा कि सतह के तापमान में बड़े, लेकिन अत्यधिक स्थानीय परिवर्तन सीधे बर्फ के निर्माण को प्रभावित कर सकते हैं और इन बर्फ के कणों को देखने से उनके उद्गम एवं इतिहास के बारे में अलग-अलग जानकारियां सामने आ सकती हैं। 


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