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1.
केंद्र ने कम से कम 40 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षण और पदों की पहचान सुव्यवस्थित करने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें ऐसे पदों की समय-समय पर पहचान और उनका मूल्यांकन करने के लिए समितियों का गठन अनिवार्य किया गया है। साथ ही दृष्टि बाधित, चलने-फिरने में अक्षम, श्रवण बाधित व बौद्धिक अक्षमता सहित विभिन्न श्रेणियों में सीधी भर्ती और पदोन्नति में चार प्रतिशत आरक्षण का भी प्रविधान किया गया है। अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुरूप हैं। यह कदम दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिव्यांगों के अधिकार अधिनियम, 2016 के क्रियान्वयन में विसंगतियों को चिह्नित करने और पदों की पहचान में अनधिकृत कार्रवाई के लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) जैसी संस्थाओं की आलोचना करने के बाद उठाया गया है।
2.
सरकारी विभागों में प्रमुख पदों को भरने के लिए 'लेटरल एंट्री' के मुद्दे की संसदीय समिति पड़ताल करेगी। इन पदों के लिए आरक्षण का प्रविधान नहीं किए जाने को लेकर इस साल की शुरुआत में राजनीतिक विवाद हो गया था। लोकसभा सचिवालय द्वारा दिए गए विवरण के अनुसार, कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय विभाग से संबंधित संसद की स्थायी समिति द्वारा 2024-25 में पड़ताल के लिए चुने गए मुद्दों में सिविल सेवाओं में 'लेटरल एंट्री' भी शामिल है। इस वर्ष अगस्त में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया था, जिन्हें अनुबंध के आधार पर 'लेटरल एंट्री' के माध्यम से भरा जाना था। इनमें से 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक एवं उप सचिव के पद थे।
3.
केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने एक नया पोर्टल भू नीर लांच किया है, जो भूजल संसाधन प्रबंधन का प्लेटफार्म है। मंत्रालय ने कहा है कि इस पोर्टल के लांच होने से भूजल निकासी की पारदर्शी और सक्षम व्यवस्था बनने के साथ ही उसके इस्तेमाल पर भी निगाह रखी जा सकेगी। केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर के साथ मिलकर इस पोर्टल को तैयार किया है। इससे लोग अपने इस्तेमाल के लिए भूजल निकासी की व्यवस्था करने से पहले संबंधित डाटा भी देख सकते हैं। औद्योगिक ही नहीं, व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए भी भूजल निकासी की पहल करने के लिए कई सरकारी अनुमतियां आवश्यक होती हैं। इस पोर्टल के जरिये उनके लिए आवेदन किया जा सकता है और उसकी स्थिति देखी जा सकती है। जरूरी शुल्क भी पोर्टल के जरिये जमा किया जा सकता है।
4.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) की ओर से घरेलू इक्विटी बाजारों से निकासी जारी है। एफपीआइ 22 नवंबर तक घरेलू इक्विटी बाजारों से 26,553 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के बाजारों में आवंटन बढ़ाने, कंपनियों की आय में कमी से जुड़ी चिंता और उच्च मूल्यांकन के चलते एफपीआइ भारतीय इक्विटी बाजारों से निकासी कर रहे हैं। डाटा के अनुसार, अक्टूबर के मुकाबले इस महीने एफपीआइ की बिकवाली की मात्रा घटी है। पिछले महीने एफपीआइ ने घरेलू इक्विटी बाजारों से 94,017 करोड़ रुपये की निकासी की थी। इससे पहले सितंबर 2024 में भी एफपीआइ ने इक्विटी में 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो नौ महीने में सबसे ज्यादा मासिक निवेश था। कैलेंडर वर्ष 2024 में अब तक एफपीआइ की इक्विटी बाजारों से शुद्ध निकासी बढ़कर 19,940 करोड़ रुपये हो गई है। कैलेंडर वर्ष 2023 में एफपीआइ ने इक्विटी बाजारों में 1.71 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।
5.
भारत ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (काप-29) में 'ग्लोबल साउथ' के लिए 300 अरब अमेरिकी डालर के नए जलवायु फंडिंग पैकेज को खारिज कर दिया। कहा कि यह पैकेज 'बहुत कम है। समझौते को मंजूरी से पहले भारत को बात रखने का मौका नहीं दिया गया। अजरबैजान में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 'ग्लोबल साउथ' के लिए 300 अरब अमेरिकी डालर के वित्त समझौते को मंजूरी दी गई। इसके तहत 2035 तक प्रतिवर्ष मात्र 300 अरब अमेरिकी डालर की फंडिंग की जाएगी। ग्लोबल साउथ के देश तीन वर्षों से 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डालर की मांग कर रहे हैं। 'ग्लोबल साउथ' का संदर्भ दुनिया के गरीब और विकासशील देशों के लिए दिया जाता है। मसौदे पर परामर्श नहीं किए जाने से नाराज कई देशों ने बैठक का बहिष्कार किया। जलवायु सम्मेलन के समापन सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं चांदनी रैना ने समझौते को पारित करने की प्रक्रिया को "अनुचित" और "मनगढ़ंत" करार दिया।
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